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गुवाहाटी कांड

LOUD AND CLEAR
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गुवाहाटी में हुई घटना ने पुरे देश को स्तब्ध कर दिया,सबसे हैरान करने वाली ये बात इस कुकर्त्य को अंजाम देने वाले एक दो नहीं पुरे बीस लोग थे और एक बेशरम पत्रकार मज़ेदार न्यूज़ के लिए इसका विडियो बना रहा था ,सबसे आश्चर्य की बात ये थी की जब ये कांड सड़क के किनारे हो रहा था लोग आराम से आते जाते इसको देख रहे थे .

पाप उलूक निकर सुखकारी। नारि निबिड़ रजनी अँधिआरी।।
बुधि बल सील सत्य सब मीना। बनसी सम त्रिय कहहिं प्रबीना।।
“पाप रूपी उल्लू समूहों के लिए नारी घनी अंधेरी सुखभरी रात है जो उनके बढ़ने में सहायक है। और तो और बुद्धि बल शील और सत्य रूपी मछलियों के लिए यह बंसी (मछली पकड़ने का कांटा) बन जाती है।”

कहते है कि शरीफ घरों की लड़कियां यूं अकेले घर से नहीं निकलती। तो क्या रात को सिर्फ शरीफ घरों के लड़के ही निकल सकते है? वो रात को पब से निकली थी तो क्या दिन के उजाले में लड़कियां को बक्स दिया जाता है?

काम क्रोध लोभादि मद प्रबल मोह कै धारि।
तिन्ह महँ अति दारुन दुखद मायारूपी नारि।।
“संसार में काम क्रोध लोभ और मद मनुष्य के मोह के बड़े कारण हैं। मगर उनमें भी स्वयं माया रूपा नारी तो अत्यंत दारुण और दुखद है।”

क्या इसको हम सभ्य और विकसित समाज कह सकते है ,फिर उस विडिओ को सोसिअल नेट्वोर्किंग साईट youtube पर उस लड़की का सरेआम तमाशा बनाने के लिए अपलोड किया गया.ये अलग बात है इस विडिओ के सहारे आरोपी आसानी से पहचाने जा सके.

सुनि मुनि कह पुरान श्रुति संता। मोह बिपिन कहुँ नारि बसंता।।
जप तप नेम जलाश्रय झारी। होइ ग्रीषम सोषइ सब नारी।।

“हे मुनि, पुराण और श्रुतियों तक में यही कहा गया है कि मोह रूपी वन के लिए नारी बसंत ऋतु के समान है। अर्थात् सभी मोहों को बढ़ाने वाली है। और जप तप नियम रूपी जलाशय के लिए तो वह ग्रीष्म ऋतु बन कर इन गुणों को सोख लेती है।

जब इस समाचार को नेट पर देखा और लिंक पर क्लिक किया तो पाया इस न्यूज़ पर कमेन्ट करने वालो की संख्या बहुत थी,पर जब कमेन्ट खोल के पड़े तो आँखे खुली की खुली रह गयी
जायदातर कमेन्ट लड़की के खिलाफ थे जैसे सारी गलती उसी की है जायदातर लोगो का मानना था कि वो लड़की रात को क्यों निकली और लड़की ने कम कपडे पहन रखे थे
ये लड़की इसी लायक है

धर्म सकल सरसीरुह बृंदा। होइ हिम तिन्हहि दहइ सुख मंदा।।
पुनि ममता जवास बहुताई। पलुहइ नारि सिसिर रितु पाई।।
“सभी तरह के धर्मं कर्म रूपी कमलों के समूह के लिए नारी हिम (ऋतु) बन कर उन्हें क्षय कर देती है। ममता मोह रूपी जवास (के वन) को तो नारी शिशिर ऋतु बनकर हराभरा करती है।”

इन लोगो की नजरो से देखे तो ऐसा लगता है जितनी भी लडकिया छेड़छाड़ या बलात्कार की शिकार है या तो रात को घर से निकलती है या कम कपडे पहनती है|
आज कल रोज समाचारों में बलात्कार की न्यूज़ आम बात है .भारत में हर एक घंटे में एक बलात्कार होता है ,और भारत महिलाओ के बारे में सबसे गिरा हुआ देश है इसलिए इस तरह के कमेन्ट पढ़ कर ये बात आसानी से समझी जा सकती है

ऐसे बिलकुल भी नही है जो लड़की सलवार शूट पहन कर सर झुकाकर चलती है वो एक दम सुरछित है ,इस तरह की घटना की शिकार को महिलाये है वो आम है कामकाजी है या पढने लिखने जाती है

एक वहसी आदमी की नज़र सब लड़की पर रहती है इसमें तीन साल के बच्चो से लेकर साठ साल तक की बुजुर्ग तक शामिल है और कोई ऐसे जगह नही है जहा वो सुरक्षित है

आप को याद होगा मेरठ के डी ई जी के पास एक लड़का अपनी बहन के गायब होने की रिपोर्ट लिखने गया था तो डी ई जी ने उसे सलाह दी कि किसी से साथ भाग गयी होगी मै होता तो उसको गोली मार देता.
काम क्रोध मद मत्सर भेका। इन्हहि हरषप्रद बरषा एका॥
दुर्बासना कुमुद समुदाई। तिन्ह कहँ सरद सदा सुखदाई॥2॥
काम, क्रोध, मद और मत्सर (डाह) आदि मेंढक हैं। इनको वर्षा ऋतु होकर हर्ष प्रदान करने वाली एकमात्र यही (स्त्री) है। बुरी वासनाएँ कुमुदों के समूह हैं। उनको सदैव सुख देने वाली यह शरद् ऋतु है॥2॥

मतलब साफ है हम चाहे जितना पठलिख जाये महिलाओ के बारे में हमारी राय और सोच वही है ,जब भी लड़की घर से बाहर जाती है भाई बाप को यही डर सताता है कि किसी लड़के से तो मिलने तो नही जा रही है

इज्जत के नाम है महिलायों का कत्लेआम है ,मरना तो उसे है ही
अगर वो कन्या भ्रूण हत्या से बच गयी और पैदा हो गयी तो उसके माँ बाप का मरना तय है ,शादी का खर्चा , दहेज़ पढाई लिखाई के खर्चे में माँ बाप की जान पर बन आती है .अगर अपनी पसंद से शादी कर ली तो भाई का फर्ज बन जाता है उसको खोज कर मार देना चाहिए ..चलिए आप खुश किस्मत है आप की बेटी किसी के साथ नही भागी आप ने शान से अच्छा कमाऊ लड़के से उसकी शादी कर दी ,यहाँ भी एक चांस बनता है या तो उसे जायदा दहेज़ के लिए मार देना चाहिए या वो घरेलु हिंसा का शिकार बन जाएगी

अवगुन मूल सूलप्रद प्रमदा सब दुख खानि।
ताते कीन्ह निवारन मुनि मैं यह जियँ जानि।।
“युवती स्त्री अवगुणों की मूल, पीड़ा देने वाली और सब दुःखों की खान है, इसलिए हे मुनि! मैंने जी में ऐसा जानकर तुमको विवाह करने से रोका था॥”

कुल मिलाकर बात ये है कि लड़की हो तो आफत न हो तो आफत

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