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ये एक महज इत्तफाक नहीं हो सकता की विश्व के सारे धर्म का जन्म गंगा और यूफ्रातेस नदी के बीच में बसे देशो में ही हुआ |एक भी धर्मं अमेरिका या यूरोप में नहीं हुआ ,चाहे वो हिन्दू धर्मं हो .बौद्थ हो या इसाई धर्मं हो
मुनि पतंजलि का नाम तो सबने सुना होगा ,वे मुनि क्रिस्टियन कैलंडर से १००० साल पहले से थे मतलब जब हमारे मुनि ज्ञान दे रहे थे तो ये अंग्रेजी सभ्यता थी ही नहीं
अगर हमारी संस्कृति इतनी गौरवपूर्ण रही है तो आज क्या हो गया है ,प्यार और शांति का सन्देश धर्मं से ज्यादा किसी ने नहीं दिया पर धर्मं के नाम पर जितनी नफरत अलग धर्म गुटों में है उतनी और किसी भी वस्तु के कारण नहीं
धर्मं ने ही तो भाईचारे का मतलब समझाया तो फिर दो धर्मो के बीच कट्टरवादी विचार ने इतने बड़ी संख्या में लड़ाइया करायी है धर्मं ने ही विश्व के सबसे बड़े परोपकारी ट्रस्ट बनाये न केवल इंसान के लिए, पशुओ के लिए भी धर्मं ने प्रेम दिखाए है
विश्व में अगर सबसे ज्यादा खून बहा है तो इस्लाम धर्मं के नाम पर ऐसा क्यों? शायद धर्म को कोई समझ ही नहीं पाया
भारत की ही बात करे तो न जाने क्यों यहाँ पर रामचरितमानस का पाठ पढ़ा जाता है.ऐसा क्या है उसमे जिससे हमे कुछ सीखने को मिले .वो तो एक राजा की कहानी है .जिसे आज घर घर में धर्म मान कर पढ़ा जाता है .मै इसके सख्त खिलाफ हु |
हम वो क्यों नहीं पड़ते जिसने एक राम को भगवान् राम का दर्जा दिया.हमारे वेद , उपनिषद .आज तो कई लोगो को वेद और वेदांत का अर्थ भी नहीं पता होगा .केवल आपस में राम रहीम के नाम पर कत्ल करते है .
शायद कम लोगो को पता होगा की राम नाम तो राम के जन्म से पहले से विद्यमान था जैसे की ॐ था .अब अगर कल मै अपने बेटे का नाम ॐ रखा तो वो का इश्वर की समानता कर लेगा ,नहीं .और न ही राजा राम कर सकते है .
अगर कोई हमे उस स्थान तक ले जा सक्त्र है तो वो वेदों का ज्ञान है ….वेद ही हमे इश्वर का दर्जा दे सकते है.अगर मै कहू की मै ही इश्वर हु तो कई लोग भड़क जायेंगे .
पर क्यों .क्यों हम इश्वर को अपने से अलग मानते है.ये सारी प्रकृति ये सारा प्रकत्री सब तो उसी मूलभूत इश्वर से बना है .
हम क्यों उस सर्वविद्यमान इश्वर को अलग कर देते है.हमारे धर्मं किसी ने नहीं लिखा है .वो तो सिर्फ वही लिखा है जो पहले से है इस संसार में सत्य वो सत्य जो न राम ने लिखा है न जेसुस ने न बुध ने
हमारा हिन्दू धर्मं किसी एक की सम्पदा नहीं है जो बाटी गयी हो .इसमें मुनियों ने वही सत्य लिखा जो पहले से था और हमेशा रहेगा. जैसे गुरुत्वाकर्षण ननुटन ने नहीं दिया अपितु खोजा है.अब आप उसे माने या न माने या गुरुत्वाकर्षण हमेशा रहेगा
शायद ये कहना गलत नहीं होगा की सारे धर्मो का विकास हिन्दू धर्मं से ही हुआ .हमने ही तो सभी धर्मो को शरण दे है.भारत ने हे हेब्रू को शरण दी जब उनको उनके देश से निकाल दिया गया था .क्रिस्टियन भी सत थोमस के साथ भारत में आये और बसे .पारसी जो लगभग ख़त्म हो गए थे भारत में शरण ली और आज भी बॉम्बे में है .
ये सब अगर तब था तो आज भारत में आपस में ही क्यों मार काट है.
इसका एक कारण यही है की हम अपने आप को हिन्दू तो कहते है पर हिंदुत्व भूल चुके है .धर्म ने किताबे लिखी है ना क किताबो ने धरम.हमे ये समझना होगा की सबमे एक हे प्राण आत्मा है जिसका न कोई रंग है न लिंग
सब में वही इश्वर है .मै ही इश्वर हु .पर मुझे-सबसे पहले मुझे ये बात समझनी होगी .मै ही तुम्हारे अन्दर हु और तुम मै हु .सब एक है.जब ये बात समझ आ जायेगी तो सारा डर, सारे नफरत ख़त्म हो जायेगी..मै किस से डरता ह अगर हर जगह मै ही हु ..खुदसे ???मै किसे नुकसान पहुचा सकुगा -खुदको …..मै किसको मरुगा -खुदको …???
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