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आधुनिकता से उपेक्षित बुजुर्ग

LOUD AND CLEAR
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लगभग 15 साल पहले की बात है मेरे खेतो में मजदूरी करने वालो में सुकई रैदास भी शामिल था सुकई बेहद गरीब था, होगी कोई २ बीघा जमीन एक टूटा फूटा घर एक ही बेटा था उसका ,बस सुकई का एक ही सपना था वो भले ही अनपढ़ था पर उसका बेटा पढ़ लिख जाये उसका बेटा रामकिसुन था भी होशियार ,बचपन से ही उसे पड़ने का शौक था ,अपने बेटे की इसी ललक को पूरा करने के लिए सुकई ने दिन रात एक कर दी थी ,न तो मैंने उसके तन पर कभी ठीक ठाक कपडे देखे थे और न ही उसने कभी अपने घर की मरमत करवाई थी बस जितना भी कमाता अपने बेटे के लिए बचाता जाता ,उसकी पत्नी भी उसका साथ देती ,आखिर अपने लाल को एक अच्छी जगह देखने का सपना सजोये थे आस pados के लोग उसको समझाते की कुछ पैसे अपने उपर भी खेरच करे पर उसे कुछ न सूझता था

दिन बीता रात गयी धीरे धीरे लम्हा बीतने लगा ,सुकई की मेहनत और रामकिसुन की लगन रंग दिखा रही थी रामकिसुन ने आखिर msc अच्छे नंबर लाकर पास किया था वो शायद उस समय का मेरे ग़ौव सबसे पड़ा लिखा इंसान था ,

रामकिसुन छुटियो में घर पर आया था सुकई की बड़ी इच्छा थी की उसकी शादी कर दे,लडकियों वालो ने उसके घर के चक्कर काट काट कर उसे परेशान कर रखा था , माँ की भी इच्छा थी बहु के हाथ का बना खाना खाए ,आखिर उसकी भी उम्र हो रही थी

राम किसुन हर बार टाल देता “अभी नही कुछ बन जाउगा तब ,अभी सब अनपढ़ लडकियों के रिश्ते आते है .जब कमाने लागुगा तब और भी अच्छे रिश्ते आयगे ”

“बेटा हमारी जाती में कहन लडकियों पड़ी लिखी मिलेगी ” ,आलpur से एक अच्छा रिश्ता आया है लड़की 8वी तक पढ़ी है
काफी जिदोजहत के बाद आखिर बेमन राजी हो गया ,शादी हुई पर रामकिशुन खुश नही था

शादी के तीन दिन बाद ही पढाई के नाम पर वो घर से चला गया ,लोक सेवा आयोग में जगह निकली आरक्षण का सहयोग मिला उसका चुनाव एक बाबु के पद पर हो गया

सुकई और उसकी पत्नी का दिल ख़ुशी से झूम उठा ,आखिर उनका सपना सच हो गया था उसकी मेहनत रंग लायी थी ,अब उसे ये दिन नही देखने पड़ेगे चलो कम से कम बुडापा बेटे की कमाई से शांति और मौज में कटेगा…

रामकिसुन घर पर आता वो जायदा दिन नही रुकता था ,पत्नी को ले जाने पर टाल मटोल करता ,माँ बाप पूछते आखिर बात क्या है उसे आखिर शहर में उसे सरकारी मकान भी मिला है

कुछ न कुछ वो बहाने बना देता ,सुकई, उसकी माँ और रामकिसुन की बीवी रामकिसुन के साथ साथ रहने को बेताब थी ,वो इस टूटे फूटे घर से निकल कर सुख और शांति से रहना चाहते थे

पर इस बार समय कुछ जायदा हो गया था ,एक साल होने को आया था ना तो बेटा आया था ना ही उसकी कोई खबर
मन बैचैन था आखिर ना जाने क्या हो गया रोना भी आता था

आखिर ये तय हुआ चलो खुद चल कर देखते है ,चिठ्यो को खोल गया ,लोगो से उसे ऑफिस और कालोनी का पता लिया
और जा पहुचे लखनऊ

शाम हो चुकी थी घर पहुचे तो पता चला साहब किसी पार्टी में गए है ,नौकर ने घर में घुसने नही दिया और बोला यहाँ कोई रामकिसुन नही रहता यहाँ आर.के साहब रहते है

काफी समझाने के बाद उसने पार्टी का पता दे दिया
जा पहुचे पार्टी के बाहर ,पार्टी के दरवाजे पर खड़े गार्ड ने रोका ,बोला कहाँ जा रहे हो

“भैया हम अपने बेटे राम किसुन से मिलने आये है काफी दूर से आये है बहुत थक गए है बुला देते ” सुकई ने सफाई दी
“पर यहाँ तो कोई राम किसुन नही है ” गार्ड ने बताया

“अरे आप के आर.के साहब ,मै उनकी बीवी हु ” रामकिसुन की बीवी को शायद कुछ आया
गार्ड अंदर गया थोड़ी देर बाद ही रामकिसुन दूर से बाहर आता दिखा ,रामकिसुन के साथ एक औरत भी थी

सुकई और उसे परिवार की जैसे जान में जान आ गयी ,सारी थकावट जैसे छूमंतर हो गयी
“ये देखिये साहब ये लोग कह रहे है की ये आप के माँ बाप है और ये औरत आप की बीवी है ” गार्ड ने इशारा करते हुए कहा

“क्या ये आप की बीवी है तो मै कौन हु ,और आप कह रहे थे की आप एक अनाथ आश्रम में पले बड़े है ” रामकिसुन के साथ खड़ी औरत में लगभग चीखते हुए कहा

“नही नही ऐसा नही है कौन है तुम लोग और क्या चाहते हो “रामकिसुन ने उस औरत को सँभालते हुए कहा
“अरे बेटा तुम क्या बोल रहे हो देखो मै तुमारा पिता हु ,बड़ी मेहनत और लगन प्यार से तुमको पाला है ” सुकई की आवाज भर्रा गयी

“क्यों जूठ बोलते हो मेरे माँ बाप बचपन में ही मर गए थे ,कुछ पैसा लो और चलते बनो ” रामकिसुन ने सुकई को उगली दिखा कर कहा

“तुम मुझे भी भूल गए तुमने मेरे साथ फेरे लिए कम से कम मुझे तो ना ठुकराओ मै तुमारी बीवी हु ” राम किसुन की बीवी ने रोते हुए कहा

“ओ बकवास मत कर मै इनकी बीवी हु आप कुछ कहते क्यों नही ” साथ खड़ी औरत ने चीखते हुए कहा
“हा हा तुम ही मेरी बीवी हो ये औरत बकवास कर रही है मै सच में नही जनता ये कौन है राम किसुन उसको बोला

पार्टी के सभी लोग बाहर आ गए थे सब ये बड़े ध्यान से देख रहे थे वो अचरज में भी थे ,किसी को कुछ समझ में नही आ रहा था की क्या बोलो

तभी एक आदमी बाहर आया और बोला “क्या ये फटे नुचे कपडे पहने गन्दा सा तुमारा बाप है आर.के ?”
“नही नही यार पता नही कौन है मै नही जनता ” उसने उत्तर दिया
“बेटा ” राम किसुन की माँ रोते हुए बोली और बेहोश हो गयी

ये लो पैसे और इस बुडिया का इलाज करा लेना और यहाँ दोबारा नाटक करने मत आना
रूपये के कुछ नोट उसने उनकी तरफ उछाल दिए

आज सुकई,उसकी बीवी और बहु उसी तरह रह रहे है और दुसरे की मजदूरी करके अपना जीवन चला रहे है

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